सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Stivan pal jaobs

होम और खेतो के बारे में

 हमारे गांव में अभी आलू कि गड़ाई चल रही हैं जिससे अभी बहुत मज़ा आ रहा है आलू गाड़ते समय मौज मस्ती भी करते है जिससे सभी यार दोस्तो से मिलना और मुलाकात भी ही जाती है हमारे गांव में अभी आलू कब तक गड़ जाते मगर इस साल सैलाब आ जाने के कारण लेट मामला हो गया जिससे की लोगो को इससे बहुत ज्यादा नुकसान भी हुआ और कास्तकारी भी पिछड़ गई है हमारे गांव के लोग भी इस टाइम बहुत ज्यादा मस्ती कर रहे   खेतो के बारे में-; इस समय हमारे खेतो में गन्ना सरसो मुली आदि की फसल लगी हुई है हमारे खेत बहुत अच्छी जगह है जिससे हमें फसल में अच्छी मुनाफा होती है मगर अच्छी फसल होने के बाद फसल जब सस्ती जाती है तो बहुत बुरा लगता है कि अब कास्तकारी ना करके कोई बिज़नेस खोल लिया जाय तो ज्यादा फायदा रहे गी क्यों कि मेहनत भी ज्यादा नहीं और काम कुछ नहीं सिर्फ पंखे की हवा में दिन भर बैठे रहो और मुनाफा ज्यादा होगी काम भी कुछ नहीं होगा जो किसानों को लुटते है अगर उनसे कहा जाय कि ऐसा करो की एक महीना खेती करलो फिर पता चल जाएगा कास्तकारी क्या होती है 

Rajnikant in born

रजनीकांत
रजनीकांत आम लोगों के लिए उम्मीद का प्रतीक। यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि रजनीकांत ऐसे इंसान हैं जिन्होंने फर्श से अर्श तक आने की कहावत को सत्य साबित करके बताया हो। दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने बड़ी-बड़ी सफलताएं अर्जित की पर जिस तरह रजनीकांत ने अभावों और संघर्षों में इतिहास रचा है वैसा पूरी दुनिया में कम ही लोग कर पाएं होंगे।

एक कारपेंटर से कुली बनने, कुली से बी.टी.एस. कंडक्टर और फिर एक कंडक्टर से विश्व के सबसे ज्यादा प्रसिद्ध सुपरस्टार बनने तक का सफ़र कितना परिश्रम भरा होगा ये हम सोच सकते हैं। रजनीकांत का जीवन ही नहीं बल्कि फिल्मी सफ़र भी कई उतार चढ़ावों से भरा रहा है। जिस मुकाम पर आज रजनीकांत काबिज हैं उसके लिए जितना परिश्रम और त्याग चाहिए होता है शायद रजनीकांत ने उससे ज्यादा ही किया है।


संघर्षपूर्ण बचपन

रजनीकांत का जन्म 12 दिसम्बर 1950 को कर्नाटक के बैंगलोर में एक बेहद मध्यमवर्गीय मराठी परिवार में हुआ था। वे अपने चार भाई बहनों में सबसे छोटे थे। उनका जीवन शुरुआत से ही मुश्किलों भरा रहा, मात्र पांच वर्ष की उम्र में ही उन्होंने अपनी माँ को खो दिया था। पिता पुलिस में एक हवलदार थे और घर की माली स्थिति ठीक नहीं थी। रजनीकांत ने युवावस्था में कुली के तौर पर अपने काम की शुरुआत की फिर वे बी.टी.एस में बस कंडक्टर (bus conductor) की नौकरी करने लगे।

रजनीकांत का अंदाज़
एक कंडक्टर के तौर पर भी उनका अंदाज़ किसी स्टार से कम नहीं था। वो अपनी अलग तरह से टिकट काटने और सीटी मारने की शैली को लेकर यात्रियों और दुसरे बस कंडक्टरों के बीच विख्यात थे। कई मंचों पर नाटक करने के कारण फिल्मों और एक्टिंग के लिए शौक तो हमेशा से ही था और वही शौक धीरे धीरे जुनून में तब्दील हो गया। लिहाज़ा उन्होंने अपना काम छोड़ कर चेन्नई के अद्यार फिल्म इंस्टिट्यूट में दाखिला ले लिया।

वहां इंस्टिट्यूट में एक नाटक के दौरान उस समय के मशहूर फिल्म निर्देशक के. बालचंद्र की नज़र रजनीकांत पर पड़ी और वो रजनीकांत से इतना प्रभावित हुए कि वहीँ उन्हें अपनी फिल्म में एक चरित्र निभाने का प्रस्ताव दे डाला। फिल्म का नाम था अपूर्व रागांगल। रजनीकांत की ये पहली फिल्म थी पर किरदार बेहद छोटा होने के कारण उन्हें वो पहचान नहीं मिल पाई, जिसके वे योग्य थे। लेकिन उनकी एक्टिंग की तारीफ़ हर उस इंसान ने की जिसकी नज़र उन पर पड़ी।

विलेन से हीरो बने
रजनीकांत का फिल्मी सफ़र भी किसी फिल्म से कम नहीं। उन्होंने परदे पर पहले नकारात्मक चरित्र और विलेन के किरदार से शुरुआत की, फिर साइड रोल किये और आखिरकार एक हीरो के तौर पर अपनी पहचान बनाई। हालांकि रजनीकान्त, निर्देशक के. बालचंद्र को अपना गुरु मानते हैं पर उन्हें पहचान मिली निर्देशक एस.पी मुथुरामन की फिल्म चिलकम्मा चेप्पिंडी से।

इसके बाद एस.पी. की ही अगली फिल्म ओरु केल्विकुर्री में वे पहली बार हीरो के तौर पर अवतरित हुए। इसके बाद रजनीकांत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और दर्जनों हिट फिल्मों की लाइन लगा दी। बाशा, मुथू, अन्नामलाई, अरुणाचलम, थालाप्ति उनकी कुछ बेहतरीन फिल्मों में से एक हैं।

उम्र कोई मायने नहीं रखती
रजनीकांत ने यह साबित कर दिया की उम्र केवल एक संख्या है और अगर व्यक्ति में कुछ करने की ठान ले तो उम्र कोई मायने नहीं रखती। 65 वर्ष के उम्र के पड़ाव पर वे आज भी वे शिवाजी- द बॉस, रोबोट, कबाली जैसी हिट फिल्में देने का माद्दा रखते हैं। 65 वर्षीय रजनीकांत के लोग इतने दीवाने है कि कबाली फिल्म ने रिलीज़ होने से पहले ही 200 करोड़ रूपये कमा लिए।

एक समय ऐसा भी था जब एक बेहतरीन अभिनेता होने के बावजूद उन्हें कई वर्षों तक नज़रंदाज़ किया जाता रहा पर उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं हारी। ये बात रजनीकांत के आत्मविश्वास को और विपरीत परिस्तिथियों में भी हार न मानने वाले जज्बे का परिचय देती है।

जमीन से जुड़े हुए
रजनीकांत आज इतने बड़े सुपर सितारे होने के बावजूद ज़मीन से जुड़े हुए हैं। वे फिल्मों के बाहर असल जिंदगी में एक सामान्य व्यक्ति की तरह ही दिखते है। वे दूसरे सफल लोगों से विपरीत असल जिंदगी में धोती-कुर्ता पहनते है। शायद इसीलिए उनके प्रशंसक उन्हें प्यार ही नहीं करते बल्कि उनको पूजते हैं। रजनीकांत के बारे में ये बात जगजाहिर है कि उनके पास कोई भी व्यक्ति मदद मांगने आता है वे उसे खाली हाथ नहीं भेजते।

रजनीकांत कितने प्रिय सितारे हैं, इस बात का पता इसी से लगाया जा सकता है कि दक्षिण में उनके नाम से उनके प्रशंसकों ने एक मंदिर बनाया है। इस तरह का प्यार और सत्कार शायद ही दुनिया के किसी सितारे को मिला हो। चुटुकलों की दुनिया में रजनीकांत को ऐसे व्यक्ति के रूप में जाना जाता है जिसके लिए नामुनकिन कुछ भी नहीं और रजनीकांत लगातार इस बात को सच साबित करते रहते है। आज वे 65 वर्ष की उम्र में रोबोट-2 फिल्म पर काम कर रहे है, उनका यही अंदाज लोगों के दिलों पर राज करता है।



English translation -:

Rajinikanth symbol of hope for common people. It would not be an exaggeration to say that Rajinikanth is a person who has proved the saying of coming from the floor to the harem to be true. There are many people in the world who have achieved great successes, but the way Rajinikanth has created history in the absence and struggles, very few people in the whole world would have been able to do it. From a carpenter to a porter, a porter to a BTS We can think of how hard it will be to travel from a conductor and a conductor to the world's most famous superstar. Not only Rajinikanth's life but also the film journey has been filled with many ups and downs. Rajinikanth may have done more than the hard work and sacrifice required for the place where Rajinikanth is holding today.

Struggling childhood

Rajinikanth was born on 12 December 1950 in Bangalore, Karnataka to a very middle-class Marathi family. He was the youngest of his four siblings. His life was full of difficulties from the beginning, he had lost his mother at the age of just five. Father



Rajinikanth's style



Even as a conductor, he was no less than a star. He was famous among passengers and other bus conductors for their different style of ticket cutting and whistling. Due to dramatics on many platforms, there was always a hobby for films and acting, and the same hobby slowly turned into a passion. So he quit his job and joined Adyar Film Institute, Chennai.



During a play at the institute there, the then famous film director K.K. Balachandra looked at Rajinikanth and was so impressed with Rajinikanth that he offered to play a character in his film. The name of the film was Apoorva Ragangal. This was Rajinikanth's first film, but due to his character being very small, he could not get the recognition he deserved. But his acting was praised by every person who looked at him.


Villain to Hero




Rajinikanth's film journey is also no less than any film. He started off with the first negative character and Villain on screen, then did side roles and finally got the same

Age doesn't matter


Rajinikanth has proved that age is only a number and age does not matter if a person is determined to do something. At the age of 65, he still has the ability to give hits like Shivaji - The Boss, Robot, Kabali. The people of 65-year-old Rajinikanth are so crazy that Kabali movie earned 200 crores even before its release.


There was a time when, despite being a great actor, he was ignored for many years but he did not lose his courage. This shows the confidence of Rajinikanth and the courage to not give up even in the opposite circumstances.

Grounded



Rajinikanth is still attached to the ground despite being such a big super star today. He looks like a normal person in real life outside of films. They wear dhoti-kurta in real life unlike other successful people. Perhaps that's why his admirers not only love him but also worship him. It is well known about Rajinikanth that any person who comes to him to ask for help is empty.

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मै एक स्टूडेंट हूं जो मेरी लाइफ बहुत ही मुश्किल जो की मै एक अच्छा ब्लॉग करता हूं मै अपनी लाइफ कई सारे कठी परिश्रम करता हूं ताकि मै भी दो रूपए कमा कर अपना और अपने बच्चो का पेट भर सकू मै अपने जीवन में बहुत कड़ी मेहनत करता और अपने सारे दिनचर्या के बारे बताता रहता हूं आप अपने जीवन में इतनी मेहनत करो ताकि आप एक ऐसी चोटी पर पहुंचे मै आपकी मदद करने मै सहायक रहूंगा आपको जिस भी प्रकार की मदद करबनी हो आप माय डेली रूटीन पर आकर अपनी मदद और आपके मन जो सवाल उसका उत्तर में डेली देता रहूंगा English Translation -:I am a student who makes my life very difficult, I blog a good life, I do my hard work so that I can earn two rupees to feed myself and my children, I work very hard in my life And I keep telling you about all your daily routine, work so hard in your life so that you reach a peak, I will be helpful to help you in any way you can. Gives you my daily help out at routine and your mind who question his deli in the north will.

About the life of the poet A.P.J.

                     ए. पी. जे. अब्दुल कलाम                                                  .      हमारे देश में एक ऐसी शख्सियत का जन्म हुआ था जिसने राजनीति और विज्ञान के क्षेत्र में हमें बहुत कुछ दिया है और उनके दिए गए आविष्कारों से आज भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व उन पर गर्व करता है। उस शख्सियत का नाम है ए.पी.जे. अब्दुल कलाम। विज्ञान के क्षेत्र में हमें बहुत कुछ देने वाले इस शख्सियत का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ। अब्दुल कलाम मुस्लिम धर्म से थे। उनके पिता का नाम जैनुलअबिदीन था जो नाव चलाते थे और इनकी माता का नाम अशिअम्मा था। बचपन और शिक्षा अब्दुल कलाम का बचपन बहुत ही संघर्षों में गुजरा। क्योंकि ये गरीब परिवार से थे और ये बचपन से ही पढ़ाई के साथ-साथ काम भी करते थे। जिस प्रकार अखबार बांटने के लिए किसी को काम पर रखा जाता है, उसी तरह अब्दुल कलाम भी बचपन ...

Study with students

हैलो दोस्तो मैं आज सभी को अपनी दिनचर्या स्टडी के बारे में आप सभी को बताने जा रहा हूं दोस्तो मै एक छोटा ब्लॉगर हूं जो मै सभी को अपने जीवन में आयी कठिनाई के बारे में बताने जा रहा हूं मै पिछले 12 साल से स्टडी करते आ रहा हूं जिसमें अभी भी कोई मोताज नहीं हासिल हुआ एवं में उसी प्रकार से मेहनत करता सायद में एक मुमताज हासिल कर लूं इससे आपको मेरा साथ देना होगा मेरे जो आने वाले ब्लॉगर को आप पड़ते रहे और कमेंट करना न भूले ताकि हमारा मोटीवेशन बड़ सके आप सभी का मै प्यार हासिल करना चाहता हूं आप हमें अपना प्यार दे और अपने इस छोटे भाई को भी आगे बढ़ने से ताकि आप के प्यार मै किसी मुमताज को हासिल करे मेरे आने सभी ब्लॉग देखे और पड़े कमेंट करे और अपना प्यार हमसे बनाए रखे  English Translation-: Hello friends, today I am going to tell you all about my routine study, friends, I am a small blogger who I am going to tell everyone about the difficulties in my life, I have been studying for the last 12 years. I am still not getting any Motaz and I work hard in the same way to get a Mumtaz in...