हमारे गांव में अभी आलू कि गड़ाई चल रही हैं जिससे अभी बहुत मज़ा आ रहा है आलू गाड़ते समय मौज मस्ती भी करते है जिससे सभी यार दोस्तो से मिलना और मुलाकात भी ही जाती है हमारे गांव में अभी आलू कब तक गड़ जाते मगर इस साल सैलाब आ जाने के कारण लेट मामला हो गया जिससे की लोगो को इससे बहुत ज्यादा नुकसान भी हुआ और कास्तकारी भी पिछड़ गई है हमारे गांव के लोग भी इस टाइम बहुत ज्यादा मस्ती कर रहे खेतो के बारे में-; इस समय हमारे खेतो में गन्ना सरसो मुली आदि की फसल लगी हुई है हमारे खेत बहुत अच्छी जगह है जिससे हमें फसल में अच्छी मुनाफा होती है मगर अच्छी फसल होने के बाद फसल जब सस्ती जाती है तो बहुत बुरा लगता है कि अब कास्तकारी ना करके कोई बिज़नेस खोल लिया जाय तो ज्यादा फायदा रहे गी क्यों कि मेहनत भी ज्यादा नहीं और काम कुछ नहीं सिर्फ पंखे की हवा में दिन भर बैठे रहो और मुनाफा ज्यादा होगी काम भी कुछ नहीं होगा जो किसानों को लुटते है अगर उनसे कहा जाय कि ऐसा करो की एक महीना खेती करलो फिर पता चल जाएगा कास्तकारी क्या होती है
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
हमारे देश में एक ऐसी शख्सियत का जन्म हुआ था जिसने राजनीति और विज्ञान के क्षेत्र में हमें बहुत कुछ दिया है और उनके दिए गए आविष्कारों से आज भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व उन पर गर्व करता है। उस शख्सियत का नाम है ए.पी.जे. अब्दुल कलाम। विज्ञान के क्षेत्र में हमें बहुत कुछ देने वाले इस शख्सियत का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ। अब्दुल कलाम मुस्लिम धर्म से थे। उनके पिता का नाम जैनुलअबिदीन था जो नाव चलाते थे और इनकी माता का नाम अशिअम्मा था।
बचपन और शिक्षा
अब्दुल कलाम का बचपन बहुत ही संघर्षों में गुजरा। क्योंकि ये गरीब परिवार से थे और ये बचपन से ही पढ़ाई के साथ-साथ काम भी करते थे। जिस प्रकार अखबार बांटने के लिए किसी को काम पर रखा जाता है, उसी तरह अब्दुल कलाम भी बचपन में अखबार बांटने जाया करते थे ताकि वो अपने परिवार का खर्च चला सके। उन्होंने रामेश्वरम, रामनाथपुरम के स्च्वात्र्ज मैट्रिकुलेशन स्कूल से अपनी प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की। अब्दुल कलाम में बचपन से ही कुछ नया सीखने की जिज्ञासा दृढ़ थी। वो पढ़ाई भी करते तो पूरी लग्न और जिज्ञासा से किया करते थे चाहेे उनके पास कैसा भी समय हो।
काॅलेज और करियर का दौर
अपनी स्कूली शिक्षा के पूर्ण होने के बाद जैसा कि अब्दुल कलाम की रूचि विज्ञान में थी तो उन्हें भौतिक विज्ञान में स्नातक करनी थी। उसके लिए उन्होेंने तिरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ काॅलेज में दाखिला लिया और 1954 में उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद अब्दुल कलाम आगे की पढ़ाई पूरी करना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने 1955 में मद्रास की ओर प्रस्थान किया। वहां जाने के बाद उन्होंने अंतरिक्ष विज्ञान की शिक्षा ग्रहण की। क्योंकि उनकी रूचि भौतिक विज्ञान में ज्यादा थी। उनके शिक्षा का ये दौर करीब 1958 से 1960 तक चलता रहा।
करियर की ओर बढ़ना
अपनी शिक्षा को पूर्ण करने के बाद अब्दुल कलाम ने एक वैज्ञानिक के रूप में डीआरडीओ यानि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन में काम किया। अब्दुल कलाम का सपना था कि वो भारतीय वायु सेना में एक पायलट बने और देश के लिए कुछ करें। इसके लिए वो काफी प्रयास करते रहे। लेकिन वो इसमें नहीं जा पाए परंतु उन्होंने अपने इसी सपने को सकारात्मक माध्यम से एक नई दिशा दी और उन्होंने शुरूआत में भारतीय सेना के लिए एक छोटे हेलिकाप्टर का मोडल तैयार किया।
डीआरडीओ में काम करने के बाद अब्दुल कलाम की करियर यात्रा इसरो की ओर बढ़ी। सन् 1969 में उनका कदम इसरो यानि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन पर पड़ा। जहां पर वो कई परियोजनाओं के निदेशक के रूप में काम करते रहे और गर्व की बात ये है कि इसी दौरान 1980 में इन्होंने भारत के पहले उपग्रह ‘‘पृथ्वी‘‘ या एसएलवी3 को पृथ्वी के निकट सफलतापूर्वक स्थापित किया। इन्होंने भारत के लिए ये काम इतना बड़ा कर दिया था कि इनके इस काम की वजह से हमारा देश अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बना।
उपलब्धियां
अब्दुल कलाम निरंतर विज्ञान के लिए नया-नया काम करते रहे जिसमें उन्होंने भारत के पहले परमाणु परीक्षण को भी साकार कराने में में अपना सहयोग दिया। इतना ही नहीं इन्होंने नासा यानि नेशनल ऐरोनोटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन की यात्रा भी की। अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत को इतनी तरक्की दिलाने से भारत सरकार द्वारा 1981 में इन्हें पद्म भूषण से नवाजा गया। सन् 1982 में उन्होंने गाइडेड मिसाइल पर कार्य किया। अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतनी लग्न और निष्ठा को देखते हुए भारत सरकार ने 1990 में फिर इन्हें पद्म विभूषण से नवाजा जो कि बहुत ही गर्व की बात है।
अब्दुल कलाम आजाद को रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहाकार के रूप में भी चुना गया। जिस पर वो 1992 से 1999 तक रहे। इतना ही नहीं इस कार्यकाल के मध्य में यानि 1997 में उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया। इसी तरह योगदान देते हुए उन्होंने आगे भारत के दूसरे परमाणु परीक्षण को सफल बनाया। सन् 2002 तक भारत को अब्दुल कलाम इस हद तक ले जा चुके थे जहां तक भारत को सोचना भी मुश्किल था और इसी योगदान की सफलता का फल उन्हें भारत का राष्ट्रपति बनके मिला। 2002 में उन्हें भारत का राष्ट्रपति चुना गया था और ये 2007 तक इस कार्यकाल में रहे। उनको उनके काम की वजह से मिसाइल मेन जैसे कई नामों से जाना जाता है। इसके बाद उन्होंने शिक्षा संस्थाओं के कई पदों पर कार्य किया। 27 जुलाई 2015 को वो शिलोंग के भारतीय प्रबंधन संस्थान में लेक्चर देने गए थे। इसी दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा और अब्दुल कलाम आजाद को इस दुनिया से विदा होना पड़ा। भले ही आज अब्दुल कलाम इस दुनिया में नहीं लेकिन उन्होंने हमारे भारत को इतना कुछ दिया है कि वो हमारे लिए आज भी जिंदा है।
English Translation -:
A person was born in our country who has given us a lot in the field of politics and science and today, not only India but the whole world makes him proud by his inventions. The name of that personality is A.P.J. Abdul Kalam. This person who gave us a lot in the field of science was born on 15 October 1931 in Rameswaram, Tamil Nadu. Abdul Kalam was of Muslim religion. His father's name was Zainul Abidin who rode the boat and his mother's name was Ashiamma.
Childhood and education
Abdul Kalam's childhood went through many struggles. Because he was from a poor family and he worked as well as a child from childhood. Just as someone is hired to distribute newspapers, similarly Abdul Kalam used to go for distribution of newspapers in his childhood so that he could afford his family. He received his primary education from the Swatraj Matriculation School in Rameswaram, Ramanathapuram. Abdul Kalam had strong curiosity to learn something new since childhood. Even if they studied, they used to do with complete passion and curiosity, no matter what they had
College and career phase
After the completion of his schooling, as Abdul Kalam was interested in science, he had to graduate in physics. For this, he enrolled in St. Joseph's College, Tiruchirapalli and in 1954 he completed his graduation. After completing his graduation, Abdul Kalam wanted to complete further studies for which he left for Madras in 1955. After going there, he studied space science. Because he was more interested in physics. This phase of his education lasted from about 1958 to 1960.
Career advancement
After completing his education, Abdul Kalam worked as a scientist in DRDO ie Defense Research and Development Organization. Abdul Kalam's dream was to become a pilot in the Indian Air Force and do something for the country. He kept trying hard for this. But he could not go into it but he gave a new direction to his dream through positive and he initially prepared a small helicopter model for the Indian Army.
Achievements
Abdul Kalam continued to innovate for science, in which he contributed in making India's first nuclear test a reality. Not only this, he also traveled to NASA i.e. National Aeronautics and Space Administration. He was awarded the Padma Bhushan in 1981 by the Government of India for giving India so much progress in the field of space. In 1982, he worked on a guided missile. Seeing so much passion and dedication in the field of space, the Government of India again conferred him with Padma Vibhushan in 1990, which is a matter of great pride.
Abdul Kalam Azad was also elected as the science advisor to the Defense Minister. On which he lived from 1992 to 1999. Not only this, in the middle of this term i.e. 1997, he was awarded the Bharat Ratna. Contributing similarly, he further succeeded in India's second nuclear test. By 2002, Abdul Kalam had taken India to such an extent that it was difficult to think of India and the result of the success of this contribution was he became the President of India. India in 2002
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