हमारे गांव में अभी आलू कि गड़ाई चल रही हैं जिससे अभी बहुत मज़ा आ रहा है आलू गाड़ते समय मौज मस्ती भी करते है जिससे सभी यार दोस्तो से मिलना और मुलाकात भी ही जाती है हमारे गांव में अभी आलू कब तक गड़ जाते मगर इस साल सैलाब आ जाने के कारण लेट मामला हो गया जिससे की लोगो को इससे बहुत ज्यादा नुकसान भी हुआ और कास्तकारी भी पिछड़ गई है हमारे गांव के लोग भी इस टाइम बहुत ज्यादा मस्ती कर रहे खेतो के बारे में-; इस समय हमारे खेतो में गन्ना सरसो मुली आदि की फसल लगी हुई है हमारे खेत बहुत अच्छी जगह है जिससे हमें फसल में अच्छी मुनाफा होती है मगर अच्छी फसल होने के बाद फसल जब सस्ती जाती है तो बहुत बुरा लगता है कि अब कास्तकारी ना करके कोई बिज़नेस खोल लिया जाय तो ज्यादा फायदा रहे गी क्यों कि मेहनत भी ज्यादा नहीं और काम कुछ नहीं सिर्फ पंखे की हवा में दिन भर बैठे रहो और मुनाफा ज्यादा होगी काम भी कुछ नहीं होगा जो किसानों को लुटते है अगर उनसे कहा जाय कि ऐसा करो की एक महीना खेती करलो फिर पता चल जाएगा कास्तकारी क्या होती है
नेल्सन मंडेला
दक्षिण अफ्रीका के महात्मा गाँधी कहे जाने वाले नेल्सन मंडेला एक महान राष्ट्र नायक थे। इन्होंने दक्षिण अफ्रीका की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवर्तनों की बागडोर अपने हाथों में ली। राजतंत्र, उपनिवेशवाद और लोकतंत्र के सन्धिकाल वाली इस सदी में अपने देश का परचम थामे इस राजनेता ने विश्व इतिहास की इबारत अपने हाथों से लिखी। दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने मानव सभ्यता के इतिहास में ‘चमड़ी के रंग’ और नस्ल के आधार पर मानव द्वारा मानव पर अत्याचार करने की क़ानून बना रखी थीं।
वह दुनिया की एकमात्र ऐसी सरकार थी, जिसने जातिय पृथक्करण एवं रंगभेद पर आधारित लिखित कानून बना रखी थीं। नेल्सन मंडेला ने खून का घूट पीकर, ड्राइवर, दरबान और भृत्य के रूप में निर्वासित जीवन जीकर, जेल में क्रूर यातनाएँ सहकर भी दक्षिण अफ्रीका को बीसवीं सदी के अंतिम मोड़ पर आजाद करवा ही दिया।
प्रारम्भिक जीवन Early life
दक्षिण अफ्रीका में सदियों से चल रहे रंगभेद का विरोध करने वाले महान जननायक नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई सन् 1918 को म्वेज़ो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ़्रीका संघ में हुआ था। इनके पिता गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा, म्वेजो कस्बे के जनजातीय सरदार थे। हेनरी की तीसरी पत्नी नेक्यूफी नोसकेनी की कोख़ से ही मंडेला का जन्म हुआ। नेल्सन मंडेला, हेनरी के 13वीं सन्तानों में से तीसरे थे। स्थानीय भाषा में सरदार के बेटे को मंडेला कहते थे।
जिससे उन्हें अपना उपनाम मिला। मंडेला के पिता उन्हें ‘रोलिह्लला’ नाम से पुकारते थे, जिसका अर्थ ‘उपद्रवी’ होता हैं। इनकी माता एक मेथोडिस्ट थी। मंडेला ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल से पूरी की। उसके बाद की स्कूली शिक्षा मेथोडिस्ट मिशनरी स्कूल से ली। मंडेला जब 12 वर्ष के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी। इसके बाद घर की सारी जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई। लॉ फर्म में क्लर्क की नौकरी कर उन्होंने अपने परिवार का भरण-पोषण किया।
राजनीतिक जीवन Political life
देश की मौजूदा स्थिति को देखकर नेल्सन मंडेला ने सन् 1941 में जोहान्सबर्ग चले गए। जहाँ इनकी मुलाकात वॉल्टर सिसुलू और वॉल्टर एल्बरटाइन से हुई, जिनसे प्रभावित होकर देश मे होने वाले रंग के आधार पर भेदभाव को दूर करने के लिए उन्होंने राजनीति में कदम रखा। देशहित की लड़ाई के दौरान ही वे धीरे-धीरे राजनीति में सक्रिय होते चले गए। सन् 1944 में अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गए, जो रंगभेद के विरुद्ध आन्दोलन करती थीं। इसी वर्ष उन्होंने एक अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग की स्थापना की। बाद में उसी लीग के सचिव चुनें गये। सन् 1961 में मंडेला और उनके कुछ मित्रों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा चला परन्तु उसमें उन्हें निर्दोष माना गया।
5 अगस्त 1962 को गिरफ्तार होने के बाद सन् 1964 में बहुचर्चित ‘रिवोनिया’ मुकदमे में उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई गई। साढ़े सत्ताईस साल का कारावास भी उनके बुलंद इरादों और संकल्पशक्ति को कैद न कर सका बल्कि उनके आत्मबल ने लोहे की सलाखों को भी पिघला दिया। जेल की चहारदीवारी के भीतर जैसे-जैसे मंडेला की उम्र बूढ़ी होती गई, उनके इरादे और दक्षिण अफ्रीका का स्वतंत्रता आंदोलन जवान होता गया।
जीवन के 27 वर्ष कारागार में बिताने के बाद अन्ततः 11 फ़रवरी 1990 को मड़ेला की रिहाई हुई। रिहाई के बाद सन् 1990 में ही श्वेत सरकार से हुए एक समझौते के बाद उन्होंने नये दक्षिण अफ्रीका का निर्माण किया। वे दक्षिण अफ्रीका एवं समूचे विश्व में रंगभेद का विरोध करने के प्रतीक बन गये। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने उनके जन्म दिन को नेल्सन मंडेला अन्तर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इसी वर्ष भारत ने उन्हे देश के सर्वोच्च पुरस्कार भारतरत्न से सम्मानित किया। मंडेला, भारत रत्न पाने वाले पहले विदेशी हैं। 10 मई 1994 को मंडेला अपने देश के सर्वप्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने। नवम्बर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान के सम्मान में उनके जन्मदिन (18 जुलाई) को ‘मंडेला दिवस’ घोषित किया।
वैवाहिक जीवन Married life
सन् 1944 में अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्होंने अपने मित्र व सहयोगी वॉल्टर सिसुलू की बहन एवलीस मेस से विवाह किया। नेल्सन मंडेला ने तीन शादियाँ की थी। सन् 1958 में अपनी पहली पत्नी को तलाक देने के बाद उन्होंने सन् 1961 मेंनोमजामो विनी मेडीकिजाला से विवाह किया। जिन्होंने मंडेला को देशद्रोह के आरोप में हुई जेल से छुड़ाने में अहम भूमिका अदा की थी। सन् 1998 में अपने 80वें जन्मदिन पर उन्होंने ग्रेस मेकल से विवाह किया। तीनों पत्नियों से मंडेला को 6 सन्ताने प्राप्त हुई। उनके परिवार में 17 पोते-पोती थीं।
मृत्यु Death
दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला की मृत्यु 5 दिसम्बर 2013 को फेफड़ों में संक्रमण होने के कारण हॉटन, जोहान्सबर्ग में स्थित अपने घर पर हुई। उनकी मृत्यु की घोषणा सर्वप्रथम राष्ट्रपति जेकब ज़ूमा ने की।
पुरस्कार एवं सम्मान Awards
नेल्सन मंडेला को “लोकतन्त्र के प्रथम संस्थापक”, “राष्ट्रीय मुक्तिदाता और उद्धारकर्ता” के रूप में देखा जाता था। दक्षिण अफ्रीका के लोग महात्मा गाँधी की तरह उन्हें भी “राष्ट्रपिता” का दर्जा देते थे। 2004 में जोहन्सबर्ग में स्थित सैंडटन स्क्वायर शॉपिंग सेंटर में मंडेला की मूर्ति स्थापित की गयी उसके बाद सेंटर का नाम बदलकर नेल्सन मंडेला स्क्वायर रख दिया गया। दक्षिण अफ्रीका में प्रायः उन्हें मदीबा कह कर बुलाया जाता था जो बुजुर्गों के लिये एक सम्मान-सूचक शब्द है। 67 साल तक मंडेला का रंगभेद के आन्दोलन से जुड़े होने के उपलक्ष्य में लोगों से दिन के 24 घण्टों में से 67 मिनट दूसरों की मदद करने का आग्रह किया गया।
सन् 1993 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति फ़्रेडरिक विलेम डी क्लार्क के साथ उन्हें भी संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मंडेला को विश्व के विभिन्न देशों और संस्थाओं द्वारा भी कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जैसे सन् 1990 में भारत रत्न, 23 जुलाई 2008 को गाँधी शांति पुरस्कार, निशान-ए–पाकिस्तान, ऑर्डर ऑफ़ लेनिन, प्रेसीडेंट मैडल ऑफ़ फ़्रीडम आदि।
विचारधाराएँ Thoughts
नेल्सन मंडेला के कुछ महान विचार –
- मैं जातिवाद से बहुत नफरत करता हूँ, मुझे यह बर्बरता लगती है। फिर चाहे वह अश्वेत व्यक्ति से आ रही हो या श्वेत व्यक्ति से।
- अगर आप एक आदमी से उस भाषा में बात करते हैं जिसे वह समझता है, तो वह उसके दिमाग में जाती है। वही अगर आप उसकी अपनी भाषा में बात करते हैं तो वह उसके दिल में उतरतीं है।
- विशेष रूप से जब आप जीत का जश्न मनाते हो और जब कभी अच्छी बातें होती है, तब आपको दूसरों को आगे रखकर पीछे से नेतृत्व करना चाहिए और जब भी ख़तरा हो आपको आगे की लाइन में आना चाहिये। तब लोग आपके नेतृत्व की सराहना करेंगे।
- भले ही आपको कोई बीमारी हो तो तब आप बैठकर मूर्ख की तरह उदास मत हो जाओ। जीवन का भरपूर आनंद लें और आपको जो बीमारी लगी है उसे चुनौती दें।
- जब पानी उबलना शुरू होता है, उस समय ताप को बंद करना मूर्खता है।
- अगर आप अपने दुश्मन के साथ शांति बनाना चाहते हैं, तो आपको अपने दुश्मन के साथ काम करना होगा। तब वह आपका साथी बनेगा।
Thanks ser
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